कल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस था। इस अवसर पर डा मोनिका जौहरी का डिप्रेशन जैसे खास विषय पर एक महत्वपूर्ण आलेख –

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वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे है आज ! लिखा है चरकसंहिता में की :-

“अणुर्ही प्रथम भूत्वा रोगः पश्चाद्धिवर्धते”
“स जात मूलो मुष्णाति बलमायुश्च दुर्मतेः”

मूर्ख द्वारा नहीं समझा गया वह रोग पहले अणु (अल्प) ही रहता है किंतु बाद में बढ़ जाता है। जब बढ़ जाने से रोग का मूल बलवान हो जाता है तो वह रोग मूर्ख मनुष्य के बल एवं आयु को नष्ट कर देता है।

लेख विस्तार में जा सकता है इसके लिए माफी चाहती हूं ! जहाँ तक मुझे याद है मैंने विशेषकर डिप्रेशन पर कोई आर्टिकल न लिखा ! इसलिए आज आपको संसार के सबसे कॉमन और सबसे सीवियर रोग के बारे में बता रही हूँ। CTP जैसे पवित्र ग्रन्थ की बात करूँ तो लगभग 6 किस्म के डिप्रेशन है उसमें ! जिनमें से एक सबसे मेजर किस्म का था “एटिपिकल_डिप्रेशन” उसपर मैं पहले ही लिख चुकी हूँ पढ़ लेना !

तो चलिए शुरू करतें हैं पूरी श्लीलता के साथ आज का ये लेख :-

सबसे महत्वपूर्ण बात :- ज़्यादातर समय अवसाद छिपा हुआ रहता है क्योंकि लोग इस बारे में बात करने से हिचकते हैं। हममें से कई लोग सिर्फ मुस्करा देते हैं और कोई मज़ाक न उड़ाए या कमज़ोर न समझे, इस चक्कर में अपनी समस्या किसी के साथ शेयर करने से पीछे हटते हैं।

“अवसाद से जुड़ी शरम की भावना ही वो सबसे बड़ा रोग है जो इस बारे में पीड़ित लोगों को मदद लेने से रोकता है। बिना उपचार के, व्यक्ति खामाख्वाह लंबे समय के लिए इस विकार को झेलता है और अपने परिवार को भी परेशानी में डाले रखता है।”

आखिर क्या होता है डिप्रेशन (अवसाद) :- अवसाद एक सामान्य मनोरोग है जिसके कुछ निश्चित लक्षण होते हैं जो व्यक्ति के विचारों, भावनाओं, व्यवहार, संबंध, कार्य प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं और अत्यंत गंभीर मामलों में मृत्यु तक भी हो सकती है।

किसी बुरी घटना या परिस्थिति पर उदास होना स्वाभाविक ही है। लेकिन अवसाद की स्थिति तब होती है जब हम जीवन के हर पहलू पर नकारात्मक रूप से सोचने लगते हैं। जब यह स्थिति या यूँ कहिए कि ये भावना 2 सप्ताह से अधिक या बार बात होकर चरम पर चली जाती है और फिर सामान्य जीवन और किसी भी स्वास्थ्य को बाधित करे तो ये चिकित्सा परिभाषा में अवसाद की श्रेणी में आ जाता है जिसके इलाज की ज़रूरत पड़ती है।

अवसाद कमज़ोरी या मानसिक अस्थिरता का संकेत नहीं है। मधुमेह या हृदय की समस्याओं की तरह ये भी एक बीमारी है। अवसाद जीवन के किसी पड़ाव में कभी भी किसी को भी अपनी चपेट में ले सकता है।

इसके दो मुख्य कारक हैं पहला एंडोजीनस (यह आंतरिक कारणों से होता है) और दूसरा न्यूरोटिक (आमतौर पर यह बाहरी कारणों से होता है)। इसके अलावा और भी कारण होतें हैं वो आपकी समझ से परे हैं बस इतना ही समझिए !

तो कैसे पहचानें आप की डिप्रेशन है या नहीं :- क्या आपने कभी सोचा है कि आपका कोई दोस्त या परिजन बहुत उदास दिखता है और लंबे समय तक थका हुआ या सुस्त नज़र आता है ? आपने नोट किया होगा कि वह व्यक्ति बहुत ख़ामोश हो गया है, रोज़ाना के काम में उसकी दिलचस्पी ख़त्म हो गई है, ठीक से नहीं खाता है या काम से उसका ध्यान उचट गया है। ऐसे संकेत बताते हैं कि उक्त व्यक्ति अवसाद से पीड़ित हो सकता है।

खुद की डॉक्टरी करने से पहले ये याद रखें कि :- हर बीमारी में लक्षणों का एक निर्धारित सेट होता है और ये ज़रूरी है कि किसी भी तरह का उपचार शुरू करने से पहले सही पहचान के लिए किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह ली जाए।

क्योंकि गलत पहचान से जटिलताएँ उभर आती हैं और हालत बिगड़ सकती है। रोगी सुसाइडल थॉट्स या अटेम्प्ट तक जा सकता है।

दो सप्ताह से ज्यादा होने वाले लक्षण क्या हो सकतें हैं :-

मानसिक लक्षण इस तरह से हैं :– ज़्यादातर समय उदास और मन डूबा हुआ महसूस करना। मिजाज में उतार चढ़ाव। दैनिक गतिविधियों को पूरा करने में अनिच्छा और कठिनाई। दिन भर थकान और सुस्ती। पहले जिन चीज़ों में मन लगता था, उनसे मन ऊब जाना, आनंद महसूस न कर पाना। ध्यान केंद्रित करने में, सोचने में और फ़ैसला करने में कठिनाई जैसे पढ़ाई आदि। डर लगना। छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आना, वहम करना। नशे करने की इच्छा होना। आत्मविश्वास और आत्म सम्मान में कमी। अपने बारे में, जीवन के बारे में और भविष्य को लेकर नकारात्मक ख़्याल आना। भूख न लगना, ज़्यादा खा लेना खासकर तला हुआ। अपराधबोध महसूस करना और पुरानी नाकामियों के लिए खुद को दोषी ठहराना, खुद को किसी चीज़ के लायक न समझना। काम से अनुपस्थित रहने लगना या काम करने में असमर्थ हो जाना। नींद में गतिरोध, नींद न आना। यौनेच्छा का अभाव, सेक्स में अरुचि। अंत में सुसाइडल वाला सीन जिंदाबाद है ही क्योंकि इनको लगता है कि मौत ही सब समाधान करेगी बस अब?

अब इनके शारिरिक लक्षण इस तरह के होते हैं :-

पूरे शरीर में दर्द महसूस करना, सिरदर्द, गर्दन दर्द, ऐंठन, मोच आदि। दिल का काँपना। खाना निगलने में मुश्किल होना।उल्टी करने जैसा फील होना। बार बार बाथरूम जाना। सांस का फूलना या सांस का छोटा होना। चक्कर आना तो इनके फेवरेट होते हैं। दिल की धड़कन तेज होना क्योंकि ब्लड में एड्रेनालाईन बिचारा चौबीसों घण्टे घुला रहता है इनके। रहा कहा ये फ्लूइड्स इंटेक गिरा लेते है तो ब्लडप्रेशर भी कम होने लगता। मासिक धर्म की अनियमितता।

अगर ऊपरोक्त लक्षणों में से कोई लक्षण आपको अपने किसी परिचित में नज़र आता है तो आप उसे मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दे सके।

 किन कारणों से हो सकता है डिप्रेशन :-

मनोविकार :- अवसाद ऐसे अन्य मनोविकारों के साथ मौजूद रह सकता है जिनकी पहचान न हो पाई हो जैसे ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर, सोशियल एंग्जाइटी डिसऑर्डर और स्किजोफ्रेनिया। ऐसे मामलों में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से एक विस्तृत आकलन की सलाह दी जाती है।

आनुवांशिक :– परिवार में माता-पिता या कोई अन्य सदस्य डिप्रेशन (अवसाद) से पीडि़त होता है तो बच्चों में ऐसा होने का खतरा रहता है।

कमजोर व्यक्तित्व :- बचपन में मां-बाप के प्यार का अभाव, कठोर अनुशासन, तिरस्कार, सामथ्र्य से अधिक अपेक्षा या ईष्र्या कई बार मस्तिष्क को ठेस पहुंचाती हैं। जो बड़े होने पर विपरीत परिस्थितियों में व्यक्ति के लिए डिप्रेशन का कारण हो सकती है।

मानसिक आघात या सदमा :- बार-बार असफलता, नुकसान या किसी प्रियजन की मृत्यु आदि से भी ऐसा हो सकता है।

शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ :- बेकाबू बीमारियाँ जैसे डायबिटीज़ और थायरॉयड से अवसाद हो सकता है। हृदय रोग, कैंसर, एचआईवी, नि:शक्तता या कोई अन्य रोग जिसमें रोगी लंबे समय तक बिस्तर पर रहता है। ऐसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को बीमारी से निपटने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और इस वजह से भी अवसाद पैदा हो सकता है।

अन्य कारण :- पारिवारिक झगड़े, अशांति, संबंध-विच्छेद, व आर्थिक परेशानी आदि वजहों से भी ऐसा हो सकता है।

भारत ही में नहीं, संसार के हर देश में लोग लगभग हर रोग को प्राकृतिक तरीक़ों से ठीक करना चाहते हैं। यह इच्छा औचित्यपूर्ण है। तो जो आप कर सकते हैं, जो आपके वश में है ! वो पढ़ लो ! बाक़ी आगे का काम डॉक्टर का है ! दसियों बार कह और समझा चुकी हूँ कि प्रिस्क्रिप्शन से पहले प्रिवेंशन की राह पकड़ लेना तब तुम्हारा जीवन सार्थक होगा। तो क्या करना है प्रिवेंशन के लिए :-

डिप्रेशन के बारे में जितनी हो सके जानकारी लें, इससे आपको अपनी घबराहट को कम करने में मदद मिलेगी और केयरगिवर के रूप में आप ज़्यादा असरदार तरीके से काम कर पाएँगें।

अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ख़्याल रखिए, उचित पोषण और पर्याप्त नींद लेने की आदत डाल लो।

सैर पर जाइए, किसी मनपसंद काम को हाथ में लीजिए।

दोस्त या किसी विश्वस्त से बात करिए, उनसे अपने ख़्याल और भावनाएँ शेयर कीजिए। इससे आप अपने अवरोधों से निकल पाएँगें

अपनी सीमाओं को पहचानिए और इस बारे में यथार्थवादी बनिए कि आप अपना कितना समय देखरेख के काम में लगा पाएँगें। अपनी इस सीमा के बारे में मरीज़ को, अपने परिवार और डॉक्टर को बताइये ताकि सबको इस बात का पता रहे और कोई आपसे अतिरिक्त की अपेक्षा न करने लगे।

खुद को कुछ समय (कम अवधि के लिए) देखरेख के काम से दूर रखिए। अगर बहुत तनावपूर्ण हो रहा है तो ब्रेक ले लीजिए।

डिप्रेशन की वजह जानें :- अगर आप डिप्रेशन का समाधान निकालना चाहते हैं, तो डिप्रेशन की वजह को जानने की कोशिश करें। इसके बाद इसे कही लिख सकते लें। फिर सोचें कि इस प्रोब्लम का क्यासॉल्यूशन हो सकता है ? अगर पॉसिबल हो, तो उस पर जल्द से जल्द अमल करना शुरू कर दें।

भविष्य की टेंशन ना लें : ‘’कल क्या होगा’’ परेशानियों को बढ़ावा देता है, इसलिए हमेशा आज में जिएं क्योकि वर्तमान ही सच्चाई है और उसे बेहतर करने की कोशिश करते रहें। ऐसा करने से आपका भविष्य अपने आप ठीक हो जाएगा। हमारा हर दिन और हर पल हमें कुछ न कुछ नई बातें सिखाता है और परेशानियों और दिक्कतों से लड़ना सिखाता है।

चीखना :- कुछ लोग हार से पैदा हुई हताशा, तनाव आदि को दूर करने के लिए जोर जोर से चीखने लगते है। ये तनावपूर्ण स्थिति या कष्टदायी स्थिति को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। मनोविज्ञानिक भी तनावपूर्ण स्थिति में चीखने को एक अच्छी तकनीक मानते है।?

गाने सुनना :- तनाव या दबाव को दूर करने के लिए एक अच्छी तकनीक या योजना है कि व्यक्ति को गाने सुनने चाहिए। इससे तनाव में कमी आती है और व्यक्ति तरोताजा हो महसूस करता है

? भावनाओं को बाहर निकलना :- रोजमर्रा की जिंदगी में व्यक्ति किसी भी समस्या से तनाव में आ सकता है ऐसे में ये तरीका या युक्ति बहुत काम आती है की व्यक्ति अपनी समस्याओ को दूसरे लोगो जैसे दोस्त, भाई, बहन, आदि के साथ बाटता या सांझा करता है तो इससे उसका मन हल्का हो जाता है और तनाव कम हो जाता है क्योंकि उसके मन में पैदा हुई भावनाये निकल जाती है

प्राणयाम करे :- ये आपसे होगा नहीं ! बात खत्म !!

हंसने की कला सीखें :- हंसने से स्ट्रेस का स्तर कम होता है और हमारी मांसपेशियों को आराम मिलता है। इससे एंड्रोफिन्स हार्मोन्स की मात्रा बढ़ती है और इससे हम रिलैक्स महसूस करते है।

अकेलेपन से छुटकारा पाये :– अकेलापन डिप्रेशन का एक सबसे बड़ा कारण है। अगर आपके परिवार मे कोई इंसान डिप्रेशन से पीड़ित है तो जितना हो सके उसके साथ समय बिताए। ज्यादा डिप्रेशन मे अक्सर लोगो मे आत्महत्या का विचार सबसे पहले आता है इसलिए जितना हो सके उस इंसान के साथ समय बिताए।
चिता जलने से पहले अपनी चेतना को जगा लेना और चिंता को मिटा लेना तब तुम्हारा जीवन सार्थक होगा।

एक सपने के टूट जाने के बाद दूसरा सपना देखना ज़िन्दगी है। मुझे इतनी सी हिम्मत की बात समझाई है मेरी जिंदगी ने !! फिर मैंने सीखा और देखा हर दूसरे तीसरे चौथे पांचवे सातवें सपने के टूट जाने के बाद, सपना देखना ज़िन्दगी है। जवानी में बाप के मर जाने, कुछ ही महीनों में प्रेक्टिस के छूट जाने और बहुत सी तरह की खुशियों के खत्म या दमन हो जाने का नाम ज़िन्दगी है।

बम्बई, मद्रास, बेंगलुरु, दिल्ली, दुबई जैसी हज़ारो लाखों जगह से तुम कितनी बार खाली हाथ हो जाओगे नही पता…कितनी बार सपने टूटेंगे ? नही पता…कितनी बार धोखे खाओगे ? नही पता…कितनी बार जलील होकर अपनी ही नजरों में कितनी बार औंधे मुंह गिरोगे…इस “कितने बार” का कोई फिक्स “बार” नहीं है ।

कभी कभी तो इन बार के लिए ज़िन्दगी छोटी पड़ जाती है। तुम्हारे गर्भ में आने से पहले और चिता में चले जाने के बाद भी तुम्हारे नाम पर ये “बार” होते रहेंगे ! अपने अपने “”बार”‘ के लिए तैयार रहो, सुबह उठकर अपनी दुकान खोल लो, तैयार होकर आफिस चले जाओ, शोरूम पर टाइम पर चले जाओ, घर के बीमार आदमी को हॉस्पिटल ले जाओ…काम करते रहो, गिरते रहो…गिरकर उठते रहो बस यही ज़िन्दगी है।

ऊपर लिंक में फोटो मोनिका जौहरी जी का है।

आलेख: मोनिका जोहरी

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