आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ के भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता नंदकुमार साय जिन्होंने जनसंघ के दौर से दरी उठाकर भाजपा के लिये लाल गलीचे बिछाये थे ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता एवं समस्त पदों से रविवार को इस्तीफ़ा दे दिया था आज रायपुर के राजीव भवन में उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं पीसीसी चीफ़ मोहन मरकाम के समक्ष कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली..,
सूत्रों का कहना है कि एक सप्ताह पहले नंदकुमार साय ने दस जनपथ पर दस्तक दी थी तथा वहाँ प्रभावशाली उच्च पदस्थ पदाधिकारी से मुलाक़ात कर सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी से मुलाक़ात करने का समय माँगा था पर,व्यस्तताओं के बीच मुलाक़ात संभव न हो पाई लेकिन उनके कांग्रेस प्रवेश को हरी झंडी दे दी गई जिसके बाद घटनाक्रम में तेज़ी से बदलाव देखने में आया और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को नंदकुमार साय के कांग्रेस प्रवेश कराने की महती ज़िम्मेदारी दी गई..,
रविवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरूप साव को पत्र लिखकर नंदकुमार साय ने अपनी उपेक्षा किये जाने का उल्लेख करते हुये संकेत दे दिया था कि भाजपा की राजनीति में आदिवासी समाज के नेतृत्व के लिये कोई जगह शेष नहीं बची है वह सिर्फ़ जातिय समीकरण साधने के लिये मोहरे बैठाने में माहिर हैं वरन इस समाज के कल्याण की कोई योजना और कोई नीति मोदी सत्ता की कार्य प्रणाली का हिस्सा नहीं है..,
२००३ में जब भाजपा ने छत्तीसगढ़ में सरकार बनाई थी तब नंदकुमार साय का नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे था पर, वे दरकिनार किये गये तथा लगातार पंद्रह साल की सत्ता में वे उपेक्षित ही रहे यद्यपि जब नरेंद्र मोदी की केंद्र में सरकार बनी तब उन्हें राष्ट्रीय जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया और कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा दिया गया लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में उनके नाम को सिरे से ख़ारिज किया गया जबकि सूत्रों का दावा है कि वे उच्चस्तर पर इस हेतु आश्वस्त किये गये थे..,
छत्तीसगढ़ एवं देश में भारतीय जनता पार्टी के लिये यह बहुत बड़ा झटका है जिससे उबर पाना आसान नहीं है कई बार के विधायक और सांसद तथा राज्य सभा सदस्य एवं छत्तीसगढ़ में प्रथम नेता प्रतिपक्ष रहे वहीं नंदकुमार साय अविभाजित मध्यप्रदेश के भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं..,
नंदकुमार साय ने फ़ेसबुक वाल पर एक कविता लिखी है कि,-
धूमिल नहीं है
लक्ष्य मेरा अम्बर
समान यह साफ़ है
उम्र नहीं है बाधा मेरी
मेरे रक्त में अब भी
ताप है सहस्र पाप
मेरे नाम हो जायें
चाहे बिसरे मेरे
काम हो जायें
मेरे तन मन का
हर एक कण इस
माटी को समर्पित है
मेरे जीवन का हर एक
क्षण जनसेवा मे
अर्पिता है..,