बुरहानपुर (इक़बाल अंसारी)
शास्त्रों में लिखा है कि जोड़ियां स्वर्ग से बनकर आती हैं। ऊपर वाले ने किसका जोड़ा कहां लिखा है ? यह कोई नहीं जानता। लेकिन जब रिश्ता अचानक तय हो जाए तो पुरानी कहावत याद ज़रूर आती है , कि जोड़ियां ईश्वर बनाता है। इसी कड़ी में शहर में चट मंगनी पट ब्याह की कहावत चरितार्थ होने और मंगनी के शादी में बदलने का एक मामला आज समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर चर्चा में बना हुआ है। बुरहानपुर के लोहार समुदाय के एक युवक महेश के लिए लड़की देखी।
लड़की पसंद आने पर सगाई की रस्म होना थी, लेकीन उनके परिजनों और समाजजनों की परस्पर सहमति से सुबह तय हुआ रिश्ता मंगनी के बजाए शादी में तब्दील हो गया। समाजजनों की सहमति से लडके के पिता सुरेश नवग्रह व माता शोभा बाई और लड़की के माता व पिता माया पति रमेश बागुल ने सादगी से शादी करवा कर अनावश्यक खर्च पर लगाम और दहेज प्रथा को पूर्ण रूप से बंद का उदाहरण पेश किया है। वहीं आर्य क्षत्रिय लोहार समाज के अध्यक्ष अनिल नवग्रह ने बताया कि दोनों पक्षों को रिश्ता पसंद आ गया था और युवक-युवती ने भी हां कर दी।
ऐसे में दोनों पक्षों ने आपसी बातचीत के बाद शादी में होने वाले अनावश्यक खर्च को टालते हुए सगाई वाले दिन ही सादगी से शादी करने का निर्णय लिया। परिजनों ने युवक महेश और युवती योगिता की रजामंदी के बाद बाक़ायदा रीति रिवाज के साथ चट मंगनी पट ब्याव कर दिया। शादी में ना दहेज लिया, न ही किसी प्रकार की मांग की गई। वही लड़की के मामा महेश वानखेड़े और मामी सोनाली वानखेड़े ने भी इस विवाह को सम्पन्न कराने में सहयोग किया। बता दें कि ऐसा विवाह लोहार समाज में पहली बार देखने में आया हैं। इस प्रेरणादायी कार्य में अनिल नवग्रहे, मनोज गर्ग, इशांत अग्रवाल आदि का सराहनीय सहयोग रहा।