वही चिराग़ बुझा जिस की लौ कयामत थी। बुरहानपुर की कद्दावर मुस्लिम शख्सियत, सियासी समाजी और बुनकर रहनुमा अब्दुल रब सेठ का लंबी बीमारी के बाद निधन…

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बुरहानपुर (इक़बाल अंसारी)

लगभग 2 दशक पहले तक अपनी बुनकर मूवमेंट राजनैतिक, सामाजिक गतिविधियों से बुरहानपुर के सियासी समाजी मंज़र नामे को प्रभावित करने वाली एक सियासी समाजी शख्सियत और बुनकर रहनुमा अलहाज अब्दुल रब सेठ (82) मंगलवार को दिन में लगभग 4:30 बजे लंबी बीमारी के बाद अपने मालिके हकीकी से जा मिले।

महेंद्रा साइजिंग के माध्यम से अपने परिवार की आजीवीका को चलाने वाले उद्योगपति सेठ अब्दुल रब ने बुरहानपुर के बुनकरों को अपनी ओर आकर्षित कर के और अपनी ताकत बनाकर बुनकर संघ नामक संगठन के माध्यम से अपने सियासी सफ़र को शुरू करने के साथ उन्होंने अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक धार्मिक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर न केवल हिस्सा लिया बल्कि उसके लिए हमेशा आर्थिक रूप से सहयोगी भी रहे। 2 से 3 दशक पहले तक आयोजित होने वाले हर सियासी समाजी धार्मिक कार्यक्रम, कुश्ती का दंगल मुशायरा धार्मिक सभा आदि में वे प्रमुखता से शामिल होकर स्टेज की ज़ीनत रहते थे।

अपनी बुनकर तेहरीक के माध्यम से वह हमेशा अखबारों की सुर्खियों में बने रहते थे और उन्होंने अपने बुनकर आंदोलन के माध्यम से सियासी समाजी और प्रशासनिक अधिकारियों तक अपनी अमिट छाप छोड़ी थी। सहकारिता आंदोलन में उनका बड़ा योगदान था। बुनकर बिरादरी के कल्याण के संबंध में दिग्विजय सिंह सहित पूर्व मुख्यमंत्रियों से मिलने वे अक्सर भोपाल जाया करते थे। बुरहानपुर विधानसभा और महापौर के इलेक्शन में भी उन्होंने अपनी किस्मत आज़माई लेकिन इसमें सफल नहीं हो पाए।

मदरसा फैजुल उलूम बुरहानपुर, मोमिन जमात बुरहानपुर के अध्यक्ष रहने के साथ धार्मिक क्षेत्र में भी उन्होंने अनेक काम अंजाम दिए जो वर्षों तक याद रखे जाएंगे। मरहूम अब्दुल रब सेठ के बड़े साहबजादे एहसान साइजिंग संचालक है और दूसरा पुत्र बुरहानपुर का प्रसिद्ध डेंटिस्ट डॉक्टर डॉक्टर रज़ा उर्रब है। मरहूम का जनाजा रात 11:00 उनके चंद्रकला स्थित निवास से उठाया जाएगा और डायन का कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया जाएगा। अल्लाह उनकी बक्शीश और मगफिरत फरमाए और उन्हें जन्नतुल फिरदोस में आला से आला मक़ाम अता फरमाए।

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