नई दिल्ली/रिपोर्ट/सैयद रागिब अली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यशाला में पला बढ़ा तथा अपनी सादगी और समरसता और निरंतर संगठन एवं पार्टी के लिए कार्य करने वाले संजय जोशी वैसे तो किसी परिचय के मोहताज नहीं है। लेकिन आज के दौर में भी उनकी सादगी और ईमानदारी से काम करने की कार्यशैली से प्रभावित होकर हम उनके बारे में अवगत करा रहे हैं।
6 अप्रेल 1962 में नागपुर में जन्मे संजय विनायक जोशी नागपुर के वीएन आईटी मेकेनिकल इंजीनियरिंग कॉलेज से लेक्चरर की अपनी नौकरी छोड़ कर वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मैं पूर्णकालिक प्रचारक बन गए संघ ने महाराष्ट्र में उनके संगठनात्मक कौशल को देखते हुए गुजरात में1988 में संगठन का कार्य करने के लिए उन्हें भेजा जहां1988 में गुजरात में भाजपा कमजोर थी, वहां उन्होंने अपनी रणनीति और कार्यशैली से संगठन को मजबूत किया।
जहां संजय जोशी गुजरात भाजपा में एक मजबूत राजनीतिक शक्ति के रूप में उभर कर सामने आये। वहां वह पार्टी और संगठन के लिए एक मूक कार्यकर्ता रूप में काम करते रहे,2001से2005 तक राष्ट्रीय महासचिव रहते संगठन का कार्य करते रहे, उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश झारखंड छत्तीसगढ़ बिहार व जम्मू एंड कश्मीर समेत नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव में जीती, उन्होंने अपने संगठनात्मक कौशल से भारतीय जनता पार्टी को मजबूत किया, तथा उनकी सहजता सरलता तथा मृदुभाषिता से आज भी संगठन एवं पार्टी को फायदा पहुंच रहा है, लगातार वह राष्ट्र व समाज के विभिन्न मुद्दों पर अपने ओजस्वी विचारों से ओतप्रोत करते रहते हैं।वह एक मूक सेनापति की तरह अपने कार्य करने के लिए जाने जाते हैं। जो भी उनसे मिलता है उनकी सादगी ओर सहजता का मुरीद हो जाता है।