शरद पूर्णिमा विशेष: चल बैठें चांद के नीचे ! [आलेख- पूर्व आईपीएस अधिकारी ध्रुव गुप्त]

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शरद पूर्णिमा की रात को साल की सबसे खूबसूरत रात है जब आकाश में चांद की खूबसूरती अपने पूरे शबाब पर होती है। यह शरद ऋतु के आरंभ की घोषणा है। कर्मकांडियों ने भले इसे पूजा-पाठ और दान-दक्षिणा के माध्यम से धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने का रोजगार बना दिया है, लेकिन अपने असली स्वाभाव में यह प्रेमियों की रात है। प्राचीन संस्कृत काव्यों में उल्लेख है कि इस रात प्रेमी किसी उपवन में या सरोवर-तट पर एकत्र होकर अपने प्रिय के आगे प्रणय-निवेदन करते थे। यह वहीं रात थी जब कृष्ण ने प्रेम में डूबी ब्रज की गोपियों के साथ मधुबन में महारास रचाया था। कदंब के पेड़ों से झरती चांदनी के नीचे कृष्ण की बांसुरी की मोहक तान और गहन प्रेम और समर्पण की लय पर गोपियों के सामूहिक नृत्य का अनोखा आयोजन जिसे पुराणों ने आध्यात्मिक ऊंचाई दी। लोगों का यह भरोसा रहा है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झरता है जिसमें प्रेमी अगर साथ स्नान कर लें तो वे जन्म-जन्मान्तर के बंधन में बंध जाते हैं।

अपने बचपन में हममें से बहुत लोगों ने गांव में कदंब के वृक्ष के नीचे परिवार और मित्रों के साथ चांदनी का आनंद लिया होगा और उसमें नहाई शीतल खीर भी खाई होगी। जवानी में जबतक इस रात के पीछे का रूमान समझ में आया तबतक कदंब के पेड़ लुप्त हो चुके थे। आकाश का धवल चांद उदास पड़ चुका था। शहरों की कृत्रिम रौशनी ने उसकी चमक छीन ली थी और कोलाहल ने उसका एकांत। बचपन के बाद फिर कभी शरद पूर्णिमा की वह जादुई चमक देखने को नहीं मिली। जो लोग आज भी गांवों में हैं वे इस रात का अर्थ और रोमांच भूल चुके हैं।

शरद पूर्णिमा पर कदंब से छनकर आती चांदनी का तिलिस्म अब न सही, चांदनी में नहाई घर की अकेली छत तो है। खीर का कटोरा चांदनी के हवाले करिए और एक चादर बिछाकर वहां चुपचाप लेट जाईए। देर तक देह पर झरती गोरी चांदनी और सरकती हवा का जादू महसूस करिए। छत पर आप अपने प्रेम के साथ हैं तो चांद आपकी उंगलियां पकड़ प्रेम की आंतरिक और अजानी अनुभूतियों तक ले जाएगा। आप परिवार के साथ हैं तो महसूस होगा कि चांद अपनी स्निग्ध हंसी लिए एक बच्चे की तरह चुपके से आपके बीच बैठ गया है। आप अकेले हैं तो चांद से बोलिए-बतिआईये। चांद आपका अकेलापन बांटेगा और आपके भीतर बहुत सारी सकारात्मकता भी भरेगा।

मित्रों को साल की सबसे रूमानी रात की शुभकामनाएं मेरे एक शेर के साथ – इसका जादू भी फ़ासले का है जादू, ऐ दिल / चांद मिल जाए तो फिर चांद कहां रहता है !

आलेख: ध्रुव गुप्ता जी

पूर्व आईपीएस अधिकारी

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