“देश के गौरव” महिला खिलाडियों को न्याय दो, देश के आत्म सम्मान की रक्षा करो: गणेश कछवाहा, (अध्यक्ष ट्रेड यूनियन काउंसिल रायगढ़ छत्तीसगढ़)

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विश्व कुश्ती चैंपियनशिप की पदक विजेता विनेश फोगाट, टोक्यो 2020 के पदक विजेता बजरंग पूनिया, रियो 2016 की पदक विजेता साक्षी मलिक साक्षी मलिक समेत कुछ शीर्ष भारतीय पहलवान पिछले रविवार 23 अप्रैल 2023 से राजधानी में जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं।

भाला फेंक खिलाड़ी और ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा और बीजिंग ओलंपिक के गोल्ड मेडिलस्ट निशानेबाज अभिनव बिंद्रा समेत भारतीय खेल बिरादरी ने भी पहलवानों का समर्थन किया है। साथ ही महिला पहलवानों को न्याय दिलाने की मांग की है।खेल जगत की कई महान हस्तियां,समाज के हर जागरूक वर्ग के लोग लगातार समर्थन करने आगे आ रहें हैं।

भारतीय कुश्ती संघ अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह और अन्य के खिलाफ पहलवानों का धरना जारी है। रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के चीफ के खिलाफ FIR तो दर्ज हो गई है लेकिन वह अपने पद पर बरकरार हैं। उनके खिलाफ महिला पहलवानों का यौन शोषण करने समेत कई और गंभीर आरोप हैं।

उस नेता पर आरोप लगना नया नहीं है। वह टेररिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज (TADA) एक्ट के तहत जेल भी जा चुके हैं। एक इंटरव्यू में मर्डर करने की बात भी स्वीकार चुके हैं। उनके चुनावी हलफनामे के मुताबिक उनके खिलाफ चार मामले लंबित हैं, जिसमें डकैती (धारा 392) और हत्या के प्रयास (धारा 307) जैसे केस भी हैं। इससे बहुत साफ – सुथरा, पावन -पवित्र ,मर्यादित व आदर्श चारित्रिक जीवन भी परिलक्षित नहीं होता है।

ऐसे में उस बाहुबली छवि वाले नेता बृजभूषण सिंह पर भारत के गौरव, विश्व विजेता महिला खिलाडियों द्वारा यौन हिंसा के गंभीर आरोप लगाये जाते हैं और सरकार मौन ही नहीं रहती वरन संवैधानिक अधिकारों को दबाते व दरकिनार करते उसे बचाने का दुष्प्रयास करती है तो यह देश को शर्मसार करने वाली बात है।इससे देश में नैतिकता, मर्यादा, इंसानियत, संविधान और लोकतंत्र पर गंभीर आंच ही नहीं आती वरन गंभीर सवाल भी खड़े होते हैं।यह भी सवाल उठना लाज़िमी हो जाता है कि देश की राजनीति में शुचिता,मर्यादा,नैतिकता और इंसानियत है या नहीं।देश में संविधान और लोकतंत्र है या नहीं।ये सवाल और गंभीर तब हो जाता है जब उस राष्ट्र की राष्ट्रपति महिला होती है।और देश की धरोहर,आन बान और शान माने जाने वाली अन्तराष्ट्रीय विजेता महिला खिलाड़ीयों के सम्मान व यौन हिंसा के मामले में उन्हें न्याय के लिए सड़कों पर प्रदर्शन करना पड़ रहा है, न्याय मिलने के बजाय उन्हें सरकारी पुलिस द्वारा परेशान व प्रताड़ित किए जाने के दर्दनाक समाचार आ रहे होते हैं। आरोपों की कम से कम निष्पक्ष जांच तो होनी ही चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता देश के गौरव होते हैं।वे व्यक्ति विशेष या आम साधारण नागरिक नहीं बल्कि देश की धरोहर होते हैं। इन्हें बहुत सम्मान से सहज कर सुरक्षित रखने की सर्वोच्च प्राथमिक जिम्मेदारी सरकार व समाज की है।यह समझना होगा कि “किसी राष्ट्र का नाम ,मान – सम्मान , प्रतिष्ठा और गौरव गरिमा ऐसी ही प्रतिभाओं से होता है।इनका अपमान देश का अपमान है।

सबसे बड़ी चिंता यह है कि विगत कई वर्षों से देश में हिंसा,नफरत,घृणा ,द्वेष ,असमाजिक व अपराधिक प्रवृत्तियां बढ़ी है। महिलाओं के प्रति हिंसा व निर्दयता मामले भी बढ़े हैं।आखिर यह कैसा देश बनने जा रहा है।नई पीढ़ी को हैं क्या शिक्षा दे रहे हैं।क्या गुंडे, मवाली,असमाजिक तत्वों और अपराधियों का राज होगा? ऐसी परिस्थितियों में
एक आदर्श,मर्यादा इंसानियत,सभ्यता, भाईचारा, सत्य ,अहिंसा, राष्ट्रीय एकता अखंडता,संविधान और लोकतंत्र के भारत को समृद्ध और बेहतर बनाने की जरूरत है।

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