वनाधिकार और भू विस्थापितों की मांगों पर 17 को धरना देकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेगी किसान सभा

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कोरबा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कटघोरा विधानसभा में आगमन पर 17 जनवरी को छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में सैकड़ों किसान, आदिवासी और भू विस्थापित ग्रामीण धरना देंगे और आदिवासियों को बेदखल करने की बजाए उन्हें वनाधिकार पट्टा देने तथा भूविस्थापित ग्रामीणों को नियमित रोजगार देने तथा उन्हें रोजगार व पुनर्वास दिए बिना बेदखल न करने की मांग एवं अन्य जनसमस्याओं पर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे। छतीसगढ़ किसान सभा की जिला समिति की विस्तारित बैठक में यह फैसला किया गया।

किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि वनाधिकार के सवाल पर जिले में केवल बतकही की जा रही है और असल में वर्षों से वनभूमि पर काबिज आदिवासी व गैर-आदिवासी पात्र लोगों को वन भूमि से जबरन बेदखल किया जा रहा है। कई जगहों पर गौठान के नाम पर बेदखल जारी है।

किसान सभा नेताओं ने कहा कि वन भूमि से बेदखली के अपने स्वयं के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा रखा है, लेकिन कोरबा जिले में वन विभाग और जिला प्रशासन इसकी अवमानना कर रहा है और राज्य सरकार का अपने अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है।

किसान सभा ने कहा है कि कोरबा निगम क्षेत्र के अंतर्गत वन भूमि पर हजारों परिवार पीढ़ियों से बसे हैं, लेकिन उन्हें वनाधिकार देने की अभी तक कोई प्रक्रिया भी शुरू नहीं की गई है, जबकि वनाधिकार कानून में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में शामिल वन भूमि में कोई अंतर नहीं किया गया है। इसी प्रकार जिले में हजारों आदिवासी परिवार हैं, जिनसे वनाधिकार के दावे नहीं लिए जा रहे हैं या बिना किसी पावती और छानबीन के रद्दी की टोकरी में डाल दिये गए हैं।

प्रशांत झा ने कहा कि वामपंथ के दबाव में संप्रग सरकार के समय आदिवासियों और परंपरागत वन निवासियों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिए यह कानून बनाया गया था। इसे लागू करने में रमन सिंह सरकार की कोई दिलचस्पी नहीं थी। लेकिन कांग्रेस सरकार के बनने के चार साल बाद भी सरकार के दावों के खिलाफ प्रशासन यदि आदिवासियों को बेदखल कर रहा है, तो यह स्पष्ट है कि आदिवासियों के लिए कांग्रेस और भाजपा राज में कोई अंतर नहीं है।

किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि कोयला उत्पादन के नाम पर बड़े पैमाने पर किसानों को विस्थापित किया जा रहा है। भूविस्थापितों को जमीन अधिग्रहण के बाद रोजगार और मुआवजा के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। जिले के प्रशासनिक अधिकारी केवल जमीन को किसानों से छीनने में लगे हुए है।

झा ने कहा कि मुख्यमंत्री के आगमन पर 17 जनवरी को सैकड़ों लोग वनाधिकार पट्टा और एसईसीएल के विस्थापन और किसानों की समस्याओं का निराकरण नहीं करने वाले अधिकारियों की खिलाफ धरना देते हुए मुख्यमंत्री को ज्ञापन देंगे तथा जनता के प्रति उनके प्रशासन की संवेदनहीनता से उन्हें अवगत कराएंगे।

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