नई दिल्ली रिपोर्ट/रागिब अली।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में आस्था का केंद्र उत्तर भारत की पहली राजधानी जोशीमठ पर आज संकट के बादल मंडरा रहे हैं और होने वाली तबाही के संकेत साफ दिखाई पड़ रहे हैं जिसमें
आदि शंकराचार्य के मंदिर के साथ-साथ कल्पवृक्ष में भी दरारें पड़ चुकी हैं और बड़े आने वाले संकट की ओर इशारा कर रही है लगभग 600 परिवार के घरों पर भी गहरी दरारें पड़ चुकी है धीरे-धीरे पहाड़ दरकने और खिसकने की स्थिति में पहुंच चुका है प्रशासन में मौजूद अधिकारी लगातार स्थिति का जायजा ले रहे हैं। पर लेकिन जोशीमठ के परिवारों पर आए संकट के बादल की चिंताएं उनके माथे पर साफ देखी जा रही है यहां के परिवारों का रो रो कर बुरा हाल है। प्रशासन की ओर से भी अपने स्तर पर प्रयास जारी हैं लेकिन जोशीमठ को बचाने के लिए यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहें हैं,इन प्रयासों से जोशीमठ को बचाने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है।
आदिकाल से धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जोशीमठ के मठ एवं शंकराचार्य के मंदिर तथा कल्प वृक्ष की महत्ता हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतीय इतिहास में भी इस जोशीमठ की धरती को उत्तर भारत की धार्मिक आस्था की राजधानी बताया गया है। लगभग 2500वर्ष पूर्व यहां आकर आदि शंकराचार्य ने इसको अपनी तपस्थली के रूप में चुना और तपस्या की हिंदू धर्म में धार्मिक प्रतीकों के रूप में जोशीमठ के कल्पवृक्ष हुए शंकराचार्य के मंदिर का विशेष स्थान है।
और यहां अखंड ज्योति भी है। जो हजारों साल से अपने दिव्य प्रकाश के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन खिसकते हुए पहाड़ों से आई दरारों की वजह से यहां के मंदिर मठ एवं घरों को बचाना बहुत मुश्किल है इस विकट स्थिति में प्रशासन भी अपने स्तर पर प्रयास तो कर रहा है लेकिन वह सब नाकाफी साबित हो रहे हैं वैज्ञानिकों की चेतावनी के अनुसार जोशीमठ को बचाना बेहद मुश्किल है।