सिलगेर (सुकमा)। साढ़े छह महीने से लोकतंत्र की बहाली और न्याय के इंतज़ार में सिलगेर में डटे आंदोलनकारियों के बीच आज दिल्ली से संयुक्त किसान मोर्चे के प्रमुख घटक संगठन अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज तथा छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते पहुंचे और आंदोलनकारियों के साथ देश के किसान आंदोलन का समर्थन व्यक्त किया।
विशाल जनसभा में बोलते हुए एआईकेएस संयुक्त सचिव बादल सरोज ने 3 युवकों, एक युवती और उसके गर्भस्थ शिशु की 17 मई को हुए अनावश्यक गोलीकाण्ड में हुयी निर्मम हत्या की भर्त्सना करते हुए छग के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सवाल किया कि लखीमपुर खीरी के निर्मम हत्याकांड में मारे गए चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या पर वहाँ जाकर संवेदना व्यक्त करने और हरेक को छग सरकार की ओर से 50-50 लाख रूपये की राहत राशि घोषित करने का सही काम करने वाले भूपेश बघेल खुद अपने ही राज्य में मार डाले गए पांच आदिवासियों के प्रति सहानुभूति तक दिखाने आज तक क्यों नहीं आ पाये।
उन्होंने हर ढाई किलोमीटर पर सीआरपीएफ कैम्प – पुलिस छावनियां और थानों का जाल बिछाने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए छग सरकार से कहा कि इसकी बजाय उसे हर ढाई किलोमीटर पर स्कूल और अस्पताल बनाने चाहिए, ताकि मलेरिया और कुपोषण जैसी टाली जा सकने वाली हजारों मौतों से आदिवासियों को बचाया जा सके। संविधान दिवस पर लोकतंत्र और संविधान के इस मखौल को रोकने की मांग की, जिसमें खुद उन्हें सिलगेर तक पहुँचने से पहले बीसियों पुलिस छावनियों में रोका गया। जागरूक पत्रकारों की मदद से ही वे संविधान दिवस के दिन अपने ही देश में, अपने ही देश के नागरिकों से मिलने पहुँच पाये।
उन्होंने कहा कि सरकारों का असली इरादा बस्तर को आदिवासी और परम्परागत वनवासी विहीन बनाने का है, ताकि यहां के जंगल, खनिज, नदियाँ और प्राकृतिक सम्पदा अडानी और अम्बानी का खजाने भरने के लिए सौंपी जा सके। देश के किसान सिलगेर के आदिवासियों के साथ हैं, वे केंद्र और राज्य सरकारों को इन साजिशों में कामयाब नहीं होने देंगे।
देश में जारी किसान आंदोलन की ओर से उन्होंने सिलगेर और गंगालूर के आदिवासियों के आंदोलन का समर्थन किया और यहां के किसान आंदोलन से अपील की कि वे इस किसान आंदोलन में हिस्सा लेने दिल्ली पहुंचे। आंदोलनकारी मूलवासी संघ के अध्यक्ष रघु ने उनके इस न्यौते को कबूल किया और दिल्ली पहुँचने का वादा किया। उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चे और अखिल भारतीय किसान सभा का सिलगेर पहुँच कर समर्थन देने के लिए आभार भी व्यक्त किया।
सभा में बोलते हुए छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने सारकेगुड़ा हत्याकाण्ड (जून 2012) व एडसमेटा हत्याकाण्ड (मई 2013) के जांच आयोगों की रिपोर्ट के आधार पर दोषियों को सजा देने, मारे गए निर्दोषों के परिजनों को एक एक करोड़ मुआवजा देने, सिगलेर गोलीकाण्ड की न्यायिक जांच, मृतकों को 1-1 करोड़ रूपये मुआवजे की मांग करते हुए कहा कि बस्तर में लोकतंत्र की बहाली की जानी चाहिये, इसे एक पुलिस स्टेट नहीं बनने दिया जाएगा। उन्होंने पुलिस कैम्प स्थापित करने के खिलाफ धरनारत आदिवासियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि देशव्यापी किसान आंदोलन और सिलगेर के आदिवासियों की लड़ाई एक है, क्योंकि ये दोनों लड़ाई कॉरपोरेटों के खिलाफ लोकतंत्र और संविधान बचाने की लड़ाई है।