झारखंड में जैन समाज के पावन तीर्थ शिखर जी को पर्यटन नहीं पावन क्षेत्र घोषित किया जाए- नरेंद्र दुग्गड़

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वर्षों से विख्यात शिखर जी जैन‌ समाज का महानतम जैन तीर्थों‌ में से एक है। परम वंदनीय है,पावन है। बीस तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि है। ये ऐतिहासिक, पवित्र और दुर्लभ क्षेत्र है।

शिखर जी तीर्थ को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने में गंभीरता नजर नहीं आ रही है ,मात्र राजस्व की सोच पवित्रता पर प्रहार है।

झारखंड सरकार और मोदी सरकार दोनों को जैन धर्म को पूरा समर्थन व सम्मान देते हुए पर्यटन स्थल के निर्णय को वापस लेना चाहिए।

जैन समाज ने हमेशा ही देश के चतुर्मुखी विकास में तन मन धन से पूरा सहयोग दिया है, देश की आन बान शान में सदा साथ खड़ा रहा है।

जैन समाज शांति प्रिय समाज है, अहिंसा परमो धर्म को मानने वाला है, उनके तीर्थ के साथ मात्र राजस्व के लिए खिलवाड़ करना, तीर्थ की पवित्रता पर ध्यान न देना
समझदारी नहीं है, अविवेकपूर्ण निर्णय है।

उस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के विकास कार्य हेतु एक समिति बने, जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री,स्थानीय विधायक, स्थानीय जिलाधीश महोदय के साथ ५-७ जैन समाज के प्रबुद्ध नागरिक,एक – दो पूर्व जैन न्यायाधीश,१-२ पूर्व जैन आई ए एस सदस्यों का समावेश कर समिति की सहमति से निर्णय हो तो श्रेष्ठ रहेगा।

नरेंद्र दुग्गड़
पूर्व प्रदेश मुख्य प्रवक्ता
आम आदमी पार्टी , छत्तीसगढ़

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