भाजपा की वह छवि खंडित हुई है जो बाजपेयी ने बनाई थी अब तो अपराधियों की शरणस्थली बन गई है के,बृजभूषण शरण सिंह पर एफ़आइआर तब हुई जब सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगी वरन मोदी सत्ता दीया तले अंधेरे के सिद्धांतों पर चल रही है..,

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खबर है कि दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार देर रात कुश्ती संघ के अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के विरूद्ध महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोप में दो एफ़आइआर दर्ज कर ली है इसमें एक एफ़आइआर पॉक्सो ( यौन अपराधों में बच्चों का संरक्षण क़ानून) और दूसरा छेडछाड मामले में हुई है इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सिंह के खिलाफ एफ़आइआर दर्ज करने की याचिका पर दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई कर रहे प्रमुख न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की बेंच को एफ़आइआर दर्ज होने की जानकारी दी..,

इस वाक़ये से महज़ एक दिन पहले पूर्व धावक राज्यसभा सदस्य पीटी उषा ने महिला उत्पीड़न के मामले मे धरनारत पहलवानों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया था यह मोदी सत्ता से उपकृत हुई परिपाटी है जिनके अनुसार पीटी उषा के सुर जो स्वर बनकर उभरे हैं वह कुछ इस तरह हैं कि जंतर मंतर में पहलवानों के धरने से देश की बदनामी हो रही है पर,वे यह नहीं बता पाईं कि जो स्क्रिप्ट वो पढ़ रही हैं उसमें बृजभूषण शरण सिंह की करतूतों से मोदी सत्ता की बदनामी न होने का फ़लसफ़ा किस तरह से लिखा हुआ है..,

१९८० में जब भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ तब अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में शुचिता की राजनीति करने का संकल्प लिया गया था पर,२०१४ के बाद राजनीति में शुचिता का वह सिद्धांत नकार दिया गया और दुष्कर्म करने वालों की लंबी फ़ेहरिस्त है जो भारतीय जनता पार्टी के सांसद,विधायक और बडे पदाधिकारी हैं..,

महिला पहलवान विनेश फोगट जो एशिया कप स्वर्ण पदक विजेता हैं वहीं ओलंपिक खेलों के लिये क्वालीफ़ाई करने वाली पहली महिला पहलवान हैं के आरोप जो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं उसमें उन्होंने कहा है कि सौ दो सौ नहीं हज़ार लड़कियों के साथ भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने ज़्यादती की है मीडिया रिपोर्ट है कि सौ से ज़्यादा कॉलेज चलाने वाले बृजभूषण शरण सिंह हर रात अपनी पसंद का चुनाव कर पीएम मोदी के बेटी पढ़ाओ,बेटी पटाओ वाली ग़लत बयानी को सच साबित करने में जुटे रहते थे यद्यपि पीएम मोदी की तब ज़ुबान फिसली थी वे बेटी पढ़ाओ,बेटी बचाओ के नारे गढ़ रहे थे और त्रुटिवश वैसा कह गये थे..,

पर,बेटियाँ तो महीनों से अपनी पीड़ा लिये संघर्ष कर रही हैं लेकिन मोदी सत्ता के कान में जूं तक नहीं रेंग रही थी दिल्ली पुलिस ने भी तब एफ़आइआर दर्ज की जब सुप्रीम कोर्ट में जवाब देने का समय आया वरन पीटी उषा के बयान यदि सरकार की मंशा के अनुरूप हैं तो वह उचित को अनुचित करार देने वाले ही प्रतीत होते हैं खैर,कार्यवाही हुई है पर,मोदी सरकार की साख गिरी है कि वह मदमस्त हाथी बना हुआ है न किसानों के आंदोलन पर वह प्रतिक्रिया समय रहते देता है न बेटियों की फ़रियाद पर वह कान देता है..,

जनता की फ़रियाद और सत्ता की खुमारी के दरम्यान मीर असर के शेर हैं कि,-
क्या कहूँ किस
तरह से जीता हूँ
ग़म को खाता हूँ
आंसू पीता हूँ..,

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