बड़ी ख़बर: छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो सूचना के अधिकार के दायरे में, राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग को दिया निर्देश

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आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा के रिट याचिका पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के दो जजों के खंड पीठ ने सुनाया फैसला

चिरमिरी । 7 नवंबर 2006 के अधिसूचना को सुधारकर फिर से अधिसूचना जारी करने का

आईटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा के लंबे और अंतिम प्रयास के पश्चात अब सफलता मिली है. छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा 7 नवंबर 2006 को एक अधिसूचना जारी कर छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को सूचना के अधिकार पर जानकारी देने से मुक्त कर दिया गया था. आईटीआई कार्यकर्ता ने 15 नवंबर 2016 को सूचना का अधिकार पर एक आवेदन प्रस्तुत कर छत्तीसगढ़ सरकार के राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो से कुछ जानकारियां मांगा था.
इस संस्था ने इस आधार पर जानकारी प्रदान करने से इनकार कर दिया कि 7 नवंबर 2006 को राज्य सरकार ने उसे सूचना के अधिकार पर जानकारी प्रदान करने से मुक्त कर दिया है.
इस अधिसूचना को आईटीआई कार्यकर्ता मिश्रा ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के खंडपीठ के समक्ष यह कहते हुए चुनौती दिया कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 24 की उपधारा 4 में उल्लेख है कि भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के हनन से संबंधित सूचना देने से किसी भी संस्था को मुक्त नहीं किया जा सकता. छत्तीसगढ़ सरकार की यह संस्था छत्तीसगढ़ राज्य में भ्रष्टाचार से संबंधित प्रकरणों की ही जांच करती है. इस तरह इस संस्था को सूचना के अधिकार से मुक्त नहीं किया जा सकता.
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के खंडपीठ के नोटिस जारी करने पर राज्य सरकार के द्वारा इस रिट याचिका में जवाब प्रस्तुत किया गया. अंतिम सुनवाई के समय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के खंडपीठ के द्वारा यह आदेश किया गया कि याचिकाकर्ता जनहित याचिकाएं प्रस्तुत करने के मामले में नए व्यक्ति नहीं है, इस कारण उनकी यह याचिका निरस्त की जाती है.
आईटीआई कार्यकर्ता ने इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया. सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका प्रस्तुत करने पर सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा याचिकाकर्ता कि इस याचिका को स्वीकार कर लिया गया और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय को निर्देश दिया गया कि इस प्रकरण में फिर से सुने. सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय के आधार पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के द्वारा इस याचिका की सुनवाई खंडपीठ तीन में की गई. इसमें जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल के द्वारा याचिका को सुना गया और आदेश 8 फरवरी 2024 को रिजर्व कर लिया गया. इस आदेश को 07 मार्च 2024 को खुली अदालत में जारी किया गया.
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के खंडपीठ ने स्पष्ट निर्देश दिया कि छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग 7 नवंबर 2006 को जो अधिसूचना जारी कर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को सूचना के अधिकार पर जानकारी प्रदान करने से मुक्त किया था वह त्रुटिपूर्ण है. भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के हनन से संबंधित सूचना देने से इस तरह के संस्था को मुक्त नहीं किया जा सकता, इसलिए इस आदेश के तीन सप्ताह के भीतर छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग इस अधिसूचना में आवश्यक संशोधन कर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को सूचना के अधिकार के दायरे में लाए तथा छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को निर्देश दिया है कि आईटीआई कार्यकर्ता के द्वारा 15 नवंबर 2016 में प्रस्तुत किए गए सूचना के अधिकार का आवेदन का जवाब आज की स्थिति में इस आदेश के चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को प्रदान करें. इस निर्देश के साथ यह याचिका छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के खंडपीठ के द्वारा स्वीकार कर ली गई है.

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