नई दिल्ली से रिपोर्ट:रागिब अली…
लखीमपुर खीरी का हालिया घटनाक्रम दर्शाता है कि जिसमें 5 किसान और तीन भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की मृत्यु हो गई पिछले 9 माह से किसान और केंद्र सरकार के बीच संवाद बंद है।
जिसकी वजह से किसानों और सरकार के बीच खाई बढ़ती जा रही है और बीच-बीच में दोनों और से कभी-कभी उत्तेजित बयान दिए जा रहे हैं इधर जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है वैसे वैसे प्रदर्शन और बढ़ रहे हैं जगह जगह किसानों द्वारा नेताओं का विरोध होता हुआ दिखाई दे रहा है।
जिसके कारण व्यापक जन आक्रोश बढ़ता जा रहा है इसी का परिणाम है कि विगत 2 दिन पहले ग्राम तिकोनिया लखीमपुर खीरी मैं दुखद घटना देखने को मिली जिसके कारण योगी सरकार भी परेशानी में पड़ गई अब देखना यह है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश से लेकर अवध क्षेत्र में और बुंदेलखंड तक इस आंदोलन का चुनाव में क्या असर होता है।
लखीमपुर खीरी क्षेत्र के आसपास जिलों को मिलाकर जिसमें शाहजहांपुर सीतापुर बहराइच बरेली जिले की 50 सीटों में से 45 सीटों पर भाजपा का कब्जा है जिसमें से 4 सीटें सपा और एक बसपा के पास है।
लखीमपुर खीरी जिले में ब्राह्मण मतदाता बहुतायत हैं दूसरी संख्या जो सबसे अधिक है वह ओबीसी की है इसमें सिख और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी यहां पर अत्यधिक है इसी तरह इस आंदोलन का व्यापक असर पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिल रहा है।
जिसके कारण भाजपा को यहां पर अपना जनाधार खोने का भी डर सता रहा है, सरकार अपनी उपलब्धियां रोज मीडिया एवं अन्य प्लेटफार्म के जरिए लोगों को पहुंचा रही है किसान आंदोलन भी धीरे धीरे अपना दायरा बढ़ा रहा है जिसका असर आगामी विधानसभा चुनावों में देखने को मिलेगा, अब देखना यह है कि भारतीय जनता पार्टी और अन्य विपक्षी दल अपनी रणनीति किस प्रकार बनाते हैं।
लखीमपुर खीरी की घटना एक व्यापक बदलाव की ओर इशारा कर रही है जिसकी वजह से सरकार भी अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है 403 सीटों में से २०० सीटें इस क्षेत्र से आती है जहां पर किसान आंदोलन इस समय सक्रिय है यही बात देखते हुए सरकार के माथे पर पसीना आना लाजमी है उधर विपक्ष भी इस घटनाक्रम को हाईजैक करने में लगा हुआ है।
और हर विपक्षी दल में होड़ लगी है की इस मामले को जन आंदोलन के जरिए चुनाव में बहुतायत से लाभ लिया जाए जिसकी वजह से कांग्रेस से प्रियंका गांधी एवं चंद्रशेखर आजाद भीम आजाद पार्टी से संजय सिंह आप पार्टी से सतीश मिश्रा बसपा से और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव शिवपाल यादव व अन्य नेता लगातार प्रयास कर रहे हैं की लखीमपुर खीरी जाकर किसानों के बीच में बैठकर अपने अपने हिसाब से इस दुखद घटना में सरकार को घेरने का काम करें और प्रयास कर रहे हैं कि इस घटना के साथ साथ प्रदेश में पिछले चार वर्षों से जिस तरह से योगी सरकार ने कार्य किया है उसको लोगों के बीच जाकर बताएं विपक्ष भी अपना काम बखूबी अंजाम दे रहा है और अब देखते हैं कि ऊंट किस करवट बैठता है।