रिपोर्ट नई दिल्ली,एस रागिब….
पश्चिम उत्तर प्रदेश के पहले चरण के चुनाव में आठ लोकसभा सीटों पर होने जा रहे चुनाव में भाजपा के वोट बैंक के खिसकने का अंदेशा जताया जा रहा है, भाजपा का कोर वोटर कहे जाने वाले ठाकुर बिरादरी में पश्चिम उत्तर प्रदेश की चार सीटों पर तो भारी विरोध देखने को मिल रहा है जिसमें मुख्यता मुजफ्फरनगर सहारनपुर कैराना लोकसभा बागपत शामिल है, मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर भाजपा को ठाकुर समाज के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
जिसके एक दो मुख्य कारण बताए जा रहे हैं एक तो पश्चिम उत्तर प्रदेश में ठाकुर समाज के कैंडिडेट की अनदेखी करना प्रमुख है सरधना में हुई ठाकुर समाज की 24 गांव की पंचायत में ठाकुर समाज की ओर से मुखर विरोध भाजपा के विरुद्ध देखने को मिल रहा है कई गांव में पंचायत भी की गई हैं और आगे भी गाजियाबाद नोएडा सहारनपुर बिजनौर और लगभग पश्चिम उत्तर प्रदेश की सभी सीटों पर अलग-अलग समय पर पंचायत की घोषणा भी की जा रही है. पिछले काफी समय से यह समाज भारतीय जनता पार्टी का कोर वोटर रहा है अब क्योंकि इस समाज का कोई कैंडिडेट भारतीय जनता पार्टी ने इस बार लोकसभा में नहीं दिया है इस कारण विरोध देखने को अधिक मिल रहा है वहीं दूसरी और समाजवादी और बसपा की सोशल इंजीनियरिंग भी कई सीटों पर महत्वपूर्ण कार्य करती हुई दिखाई दे रही है कई जगह समाजवादी पार्टी की ओर से प्रत्याशी भी बदले गए हैं पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) के फार्मूले के साथ समाजवादी पार्टी इस चुनाव में उतरी है और उसी हिसाब से लोकसभा में प्रत्याशी दिए गए हैं.
जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी को इस लोकसभा चुनाव में पश्चिम उत्तर प्रदेश में कई सीटों का नुकसान बताया जा रहा है पहले चरण का चुनाव नजदीक है जिसके कारण मतदाता भी मुखर होकर अपनी बात कह रहे हैं अगर इंडिया एलाइंस और खास कर समाजवादी पार्टी का पीडीए फार्मूला अगर चल जाता है तो भाजपा को इस चुनाव में पश्चिम उत्तर प्रदेश के अंदर बड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी क्योंकि हर लोकसभा सीट पर पचास हजार से डेढ़ लाख के आसपास ठाकुर समाज है। जिसका खामियाजा इस बार लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को उठाना पड़ सकता है।