देश के अमृतकाल में महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती हमारे लिए प्रेरणा बने-पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस

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बुरहानपुर (इक़बाल अंसारी)

सामाजिक क्रांति के अग्रदूत, महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जयंती पर बुरहानपुर में पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए और आयोजित कार्यक्रम में सहभागी होकर अपने विचार रखे। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि आज पूरा देश महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जन्मजयंती उत्साह के साथ मना रहा है। देश के अमृतकाल में महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जयंती हमारे लिए प्रेरणा बने।

शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्यों हेतु हम सब सदैव उनके ऋणी रहेंगे। महात्मा फुले जी एवं सावित्री बाई फुले जी की वजह से ही आज हमारी महिलाऐं शिक्षित हो पाई है। मेरे जैसी लाखों बहनें-बेटियां उनकी ऋणी रहेंगी। उनके कारण पढ़-लिखकर देश, समाज व परिवार में अपना बेेहतर योगदान देने योग्य हो सकी। उन्होंने स्त्री शिक्षा का जो बीड़ा उठाया था आज उसी का परिणाम है कि हम नारीशक्ति की बात कर रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा तथा अछूतोद्धार का काम आरंभ किया था। उन्होंने पुणे में लड़कियों के लिए भारत का पहला विद्यालय खोला। 1840 में ज्योतिबा का विवाह सावित्रीबाई से हुआ था। उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले भी एक समाजसेविका थीं। उन्हें भारत की पहली महिला अध्यापिका और नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता कहा जाता है। बच्चों का अनाथालय भी ज्योतिबा ने खोला। विभिन्न प्रमुख सुधार आंदोलनों के अतिरिक्त हर क्षेत्र में छोटे-छोटे आंदोलन जारी थे जिसने सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर लोगों को परतंत्रता से मुक्त किया था। उन्होंने किसानों और मजदूरों के हकों के लिए भी संगठित प्रयास किया था।

पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि महात्मा फुले एक समतामूलक और न्याय पर आधारित समाज की बात कर रहे थे इसलिए उन्होंने अपनी रचनाओं में किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए विस्तृत योजना का उल्लेख किया है। पशुपालन, खेती, सिंचाई व्यवस्था सबके बारे में उन्होंने विस्तार से लिखा है। गरीबों के बच्चों की शिक्षा पर उन्होंने बहुत जोर दिया। उन्होंने आज के 150 साल पहले कृषि शिक्षा के लिए विद्यालयों की स्थापना की बात की। जिससे प्रेरणा प्राप्त कर मैंने शिक्षा मंत्री रहते हुए शोलय शिक्षा में कृषि की शिक्षा को जोड़ा था। बुरहानपुर के अधिकांश विद्यालयों में कृषि संकाय प्रारंभ किया गया।

श्रीमती चिटनिस ने कहा कि यह हमारे लिए गौरव की बात है कि हम महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती मना रहे हैं। महान संत वारकरी सावता माली जी का स्मरण करते हुए श्रीमती चिटनिस ने कहा कि उनकी सीख थी कि कर्म करते रहना यहीं खरी ईश्वर सेवा है। सावता माली जी की इस बुनियादी सीख का शब्दशह पालन महात्मा फुले जी ने जीवन प्रयत्न करा।

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