तुम
मंदिर ,मस्जिद
सब ले लो
पर
मां का आंचल
बच्चे की मुस्कान
बूढ़े बाप की लाठी
पत्नी के मांग का सिंदूर
बहन की राखी
एक झोपड़ी
और
दो जून कि रोटी
हमें दे दो।।
हे राम
तुम तो
कण कण में
घट घट में
व्याप्त थे
आखिर तुम्हें
कंकड़ पत्थर के
भव्य चार दिवारी में
किसने कैद कर दिया?
तुमने तो
सबरी के झूठे बेर खाए थे
क्या
अब
गरीबों,
झोपड़ पट्टियों,
दलितों से
तुम्हें भी
घृणा होने लगी है?
या
तुम्हें भी
जन जन से
दूर कर
चार दिवारी में
कैद करने की
साजिश की जा रही है?
या फिर
आर्थिक उदारीकरण,
बदलते परिवेश में
तुम्हें भी
कॉर्पोरेट्स
बहू राष्ट्रीय कंपनियों की खनक
सत्ता,पूंजी और
आलीशान भवन की
चकाचौंध भाने लगी है।
क्या इसीलिए
फुटपाथ,
झोपड़ी,
चौराहों,घरों,
और
इंसानों के
हृदय में नहीं
करोड़ों,अरबों की लागत के
भव्य मंदिर में
रहना चाहते हो।
हे राम
क्या तुमने
राम रहीम की
पवित्र परम्परा को भी
भुला दिया
एक भव्य आलीशान
मंदिर के लिए
निर्दोषों का
खून बहा दिया।
सरयू को अपवित्र कर
अयोध्या को
रुला दिया।
क्या तुम्हारे
यही आदर्श हैं?
हे राम
रामचरित मानस और
रामायण में तो
ऐसा चरित्र
नहीं बताया
फिर किसने और क्यों
तुम्हें इतना हिंसक बनाया
तुम तो
करुणा मय
दयानिधि
मर्यादा पुरुषोत्तम हो
सिया राम हो।
भवसागर से पार लगाने
जीवन का उद्धार करने
सियाराम ,सियाराम
के नाम का जाप
जग को सिखाया
जन कल्याण के लिए
राज पाठ त्याग कर
वानप्रस्थ अपनाया
परंतु
ये कौन हैं
जो
सियाराम की जगह
जय जय श्री राम
का कर्कश उद्घोष कर
वान प्रस्थ से
राज पथ
की ओर ले जाना चाहते हैं
और
तमाम मर्यादाओं
मानवता ,संवेदनाओं को
कुचल कर
राज सिंहासन
हथियाना चाहते हैं?
रामायण और
रामचरित मानस
की जगह
यह कौन सी
नई ग्रंथ
लिखी जा रही है ?
हिंसा, नफरत,द्वेष, घृणा का
पाठ पढ़ाया जा रहा है।
हमें
ऋषि बाल्मीकि ,
संत तुलसी ,
रामायण ,
रामचरित मानस
और
हमारा अपना
सिया राम सियाराम चाहिए
जो
किसी महलों में नहीं
कण कण में
घट घट में व्याप्त हो।
मानवता,दया करुणा
और मर्यादा का
सर्वोत्तम आदर्श हो।।
तुम मंदिर मस्जिद
सब ले लो ——–
गणेश कछवाहा
रायगढ़ छत्तीसगढ़।
gp.kachhwaha@gmail.com
94255 72284