आज कालिकाबिंदादीन जी की गौरवशाली परंपरा भारतीय संगीत की लय थम गई। सुर मौन हो गए। भाव शून्य हो गए और घुंघरुओं की खनक नाद ब्रम्ह में लीन हो गए।
गणेश कछवाहा/रायगढ़ छत्तीसगढ़
कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज का 83 वर्ष की उम्र में आकास्मिक निधन हो गया. जैसे ही सोशल मीडिया में खबर आई संपूर्ण संगीत कला जगत गहरे शोक में डूब गया। घुंघरुओं की खनक,मुद्रा,भाव, भंगिमाएं, कवित्त तबले के बोल,मधुर स्वर लहरियां सब यकायक थम सा गए।
पंडित बिरजू महाराज का असली नाम बृजमोहन मिश्रा था. उनका जन्म 04 फरवरी, 1938 को लखनऊ में हुआ था. लखनऊ घराने से ताल्लुक रखने वाले बिरजू महाराज के पोते स्वरांश मिश्रा ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उनके देहांत की जानकारी दी.
रायगढ़ छत्तीसगढ़ के संगीत विरासत से गहरा जुड़ाव रहा।कथक सेमिनार रायगढ़ में उन्होंने घराने की सीमा को तोड़ते हुए कहा था कि “घराने प्राचीन काल में सामयिक था लेकिन अब प्रगति और उन्नति की दौर में संगीत को किसी घराने में नहीं बांधा जा सकता है।परंपराओं के प्रयोग और समृद्धि का दौर है , जिसकी कोई सीमा नहीं अथाह है।संगीत की कोई सीमा नहीं।”
पद्म विभूषण के अलावा उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास सम्मान , 2012 में विश्वरूपम फिल्म में कोरियोग्राफी के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित असंख्य सम्मान से सम्मानित कत्थक के सरताज पंडित बिरजू महाराज जी नही रहेने से आज लखनऊ की ड्योढ़ी आज सूनी हो गई। कालिकाबिंदादीन जी की गौरवशाली परंपरा की सुगंध विश्व भर में प्रसारित करने वाले महाराज जी अनंत में विलीन हो गए।
यह रायगढ़ संगीत जगत की अपूर्णीय क्षति है। कथक नृत्य की विरासत में आपके योगदान को भुलाया नही जा सकता। संगीत शिरोमणि कालागुरु वेदमणि ठाकुर जी के लिए यह व्यक्तिगत क्षति है।वे रियासत काल और उसके बाद उनके सानिध्य और संगत को स्मरण करते हुए बताते हैं कि “देश ने एक अनमोल रत्न को खो दिया है।कथक को एक नई पहचान देने और महराज कालिकाबिंदादीन जी की गौरवशाली परंपरा की सुगंध विश्व भर में प्रसारित करने वाले विरले प्रतिभा के धनी थे।” उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
संगीत साधक जगदीश मेहर ने चक्रधर समारोह और कथक सेमिनार रायगढ़ में पंडित बिरजू महाराज जी को आमंत्रित का रायगढ़ कला प्रेमियों से साक्षात्कार करवाने में सफल रहे।उनके निधन को जगदीश मेहर ने सम्पूर्ण संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया।
कथक सेमिनार में डॉ बलदेव ने रायगढ़ संगीत परंपरा और रायगढ़ कथक घराने पर विशद लेख उन्हें सौंपा और पंडित बिरजू महाराज जी ने उस पर हृदय से गंभीर हस्तक्षेप किया।वैसे भी रायगढ़ कथक पंडित बिरजू महाराज जी का बहुत ऋणी है।
पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से रायगढ़ संगीत परिवार भी शोकाकुल है।संगीताचार्य मनहरण सिंह ठाकुर,कला समीक्षक एवं संस्थापक सदस्य चक्रधर समारोह गणेश कछवाहा सुनील वैष्णव,बसंती वैष्णव, देव लाल देवांगन,श्रीमती चंद्रा देवांगन,मनोज श्रीवास्तव, बसंत राघव साव,आदि ने अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है।
आज कालिकाबिंदादीन जी की गौरवशाली परंपरा भारतीय संगीत की लय थम गई। सुर मौन हो गए। भाव शून्य हो गए और घुंघरुओं की खनक नाद ब्रम्ह में लीन हो गए।
शत शत नमन।
गणेश कछवाहा
संस्कृति कर्मी,कला समीक्षक
संस्थापक सदस्य चक्रधर समारोह
रायगढ़ छत्तीसगढ़।
94255 72284